अब
के तुफान ने बहुत रुलाया
उस
तुफान की सारी निशानीयां देख सकती हो
आंखो
मे
चेहरे
पर पढ सकती हो उसके बदसुरत निशान
कहते
थे, और मै भी दिलासा दिया करता था
की
जब एक से दो हो जाये तो तुफान का सामना होता है
मगर
पाया हमेशा आंधीयों मे अकेले खुद को झुजते, झुंजलाते
एक
से दो होने पर भी बाकी है
वहीं
खामोश सा अनेकापन…….
दिया था अपना गर्म हाथ मेरे माथे पर
अब
भी बिजली भरी रातों मे महसुस करता
हू
तुम्हारे हाथों की गर्मी
और
तुम्हारे
सांसो की सरसराहट……………..
(Saturday,
June 11, 2011)
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