जीवन नहीं होता घडी की सुई सा
की,
सुईंयों को पीछे घुमाकर
समय ठिक कर ले.
जहां सुई हैं
वहीं से समय को
ठीक करने की कवायद करनी होती है.
जीवन नही होता अ-रुपांतरणीय
मिलता है मौका हमेशा ही
विष से अमृत के रुपांतरण का.
जहां है वहां से
रुपांतरण की संभावना
हमेशा ही प्रबल होती है.
डॉ.
निलेश हेडा
६ नवंबर २०१२
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