Sunday, November 11, 2012

याद है सब कूछ अब तक


याद है सब कूछ अब तक

कुछ नही भुला
एक सरसराहट आती
और
थंडी हवा छु जाती तो सिहर उठता
कहता शायद तुम आसपास ही हो.

लोड शेडींग के दिन थे वो
और तुफानी रात भी
तुमने कहा था
“क्या बच्चो की तरह बिजलीयों से डरते हो…….”
और रख दिया था अपना गर्म हाथ मेरे माथे पर
अब भी बिजली भरी रातों मे महसुस करता
हू तुम्हारे हाथों की गर्मी
और
तुम्हारे सांसो की सरसराहट……………..
(Saturday, June 11, 2011)

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